कैसा रहेगा रियल एस्टेट सैक्टर 2014

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भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए साल 2013 कुछ खास अच्छा नहीं रहा। आय में स्थिरता, रुपए के मूल्य में गिरावट, आसमान छूती मुद्रास्फीति की दर और ब्याज की ऊंची दर ने लोगों को अपने खर्चों तथा निवेश पर लगाम लगाने को विवश कर दिया। इसका असर सीधे-सीधे रियल एस्टेट सैक्टर पर भी हुआ। इस साल त्यौहारों के मौसम में भी अपेक्षा अनुरूप तेजी देखने को नहीं मिली।
सरकार द्वारा लागू किए जा रहे रियल एस्टेट रैगुलेशन बिल को लेकर भी इंडस्ट्री में नाखुशी का माहौल बना हुआ है। वैसे इस सबके बावजूद आवासीय सम्पत्ति के दामों में लगातार इजाफा होता रहा जबकि रुपए के मूल्य में अवमूल्यन इसकी विक्रय शक्ति को क्षीण करता रहा। अब नया साल अपने साथ नई अपेक्षाएं लेकर आ रहा है। आइए आपको बताएं कि विशेषज्ञों की राय में साल 2014 में कैसा रहेगा रियल एस्टेट का रुख?

रीडिवैल्पमैंट गतिविधियों में इजाफा होगा
शहरीकरण के कारण घट रही भूमि की वजह से रियल एस्टेट सैक्टर का काफी जोर रीडिवैल्पमैंट पर भी केंद्रित रहेगा। इसकी एक वजह यह भी है कि नए भूमि अधिग्रहण कानून के मद्देनजर अब डिवैल्पर्स के लिए भूमि अधिग्रहण पहले की तुलना में कहीं अधिक कठिन हो जाएगा। ऐसे में भारतीय शहरों में रिडिवैल्पमैंट की दिशा में डिवैल्पर्स के लिए सम्भावनाओं की कोई कमी नहीं है।

मांग तथा आपूर्ति में तालमेल बैठाने का समय
जहां भारत में हो रहा शहरीकरण दुनिया भर के निवेशकों को मुनाफा कमाने का सुनहरा अवसर प्रतीत हो रहा है वहीं इसकी वजह से बढ़ रही जरूरतों को पूरा करना भी एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है।

वर्तमान में बाजार चौकस है और इसकी ऐसी भावनाएं 2014 की पहली छमाही तक जारी रहने की अपेक्षा है। हालांकि साल के दूसरे हिस्से में बिक्री में निरंतर इजाफा होगा तथा आवासीय रियल एस्टेट पूंजी में मूल्य वृद्धि साल भर 10 से 12 फीसदी की दर से हो सकती है।

किफायती आवास देंगे 2014 में विकास को गति
एक विकसित होती अर्थव्यवस्था में सम्भावनाओं की कोई कमी नहीं होती और समय आ चुका है कि भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री इंतजार में बैठे मौकों की पहचान कर सके।  अब तक भारत में करीब 2 करोड़ आवासों की कमी है और इसमें से 95 फीसदी कमी आर्थिक रूप से कमजोर तथा निम्न आय वर्ग के लिए आवासों की है। सरकारी जानकारी के अनुसार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आवास 4 से 10 लाख रुपए के होने चाहिएं।

इसका अर्थ है कि किफायती आवासीय परियोजनाओं को हमारे शहरों के ऐसे पनगरों का रुख करना होगा जहां इस मूल्य के आवास उपलब्ध करवाना सम्भव हो। ऐसी परियोजनाओं के लिए सरकार की ओर से शुल्क तथा करों में विभिन्न प्रकार की छूट हासिल करने की कोशिश भी की जानी चाहिए।

Source:-Punjabkesari.in

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Posted on January 2, 2014, in Real Estate and tagged , , , , , . Bookmark the permalink. Leave a comment.

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